सोमवार, 12 अप्रैल 2010

याद क्या है...

याद क्या है
एक बूंद स्वाती की
जो समय के ज्वार में टपक गई
या फिर एक कतरा आंसू का
जो तेरे गेसुओं से होता हुई मिरी रूह
में ढलक गया।
याद क्या है
मेरे गांव की वो कोयल जो
अमराई के झुरमुठे से मुझे पुकारती है।
जो अपनी बोली मेरे कानों में मिश्री
की तरह उतारती है।
याद क्या है
मेरी मां का आंचल
जिससे रोटी सेकने के बाद
सोंधी गंध आती है।
चलता हूं जब भी सहरा की जलाने वाली
धूप में उसकी ही दुआएं संग आती हैं।
याद मेरे खेत के किनारे वाली
पोखर का छलछलाता पानी है।
याद मेरे आंगन के कपड़े सुखाने वाली
डंडी है।
याद मेरे बाबा की वो पूरानी घड ी है
जिसमें याद करके चाभी भरनी पड ती थी।
याद मेरी अम्मा का पुराना फोटो अलबम है
जिसमें वो मेरे नाना को अक्सर खोजा करती थी।

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