सोमवार, 12 अप्रैल 2010

यादों की अय्यारी

आपकी याद में हमने पल-पल में सदियां गुजारी है,
थोड़ा जल्दी करो इस दिल पर हरेक लम्हा भारी है।

वो तेरे पैरों की आहट, वो तिरे आने का मंजर
कहीं हमारा दम न निकल जाए अभी मेरी जां के निकलने की बारी है।

तेरी आंखों के सदके वो गुलाबों की ओढ नी
बेमतलब बदनाम है सब तिरे दिल की अय्यारी है।

इक आरजू है तिरी महक को पा लेने की,
वरना लौटने की तो इस पंछी की कबसे तैयारी है।

कौन कमबखत लड रहा है तुुझसे जीतने के लिए
तेरी यादों के आगे तो अपनी हर ईक ्यै हारी है।

कह दो इस दुनिया के मालिक से की लौट जाए
तेरी मुहब्बत का पलड ा उसकी हर इक मिट्टी से भारी है।

कोई गम नहीं है कि ये दुनिया वाले किस ओर निकल जाए
उनकी अदावत और अपनी मुहब्बत हर लम्हा जारी है।


थोड ी देर के लिए ए वक्त तू भी ठहर जाएगा
अभी-अभी उन्होंने अपनी पलकें सवारी हैं।

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